नई दिल्ली. बिहार में हुए सृजन एनजीओ घोटाला के आरोपी महेश मंडल की मौत रविवार को हो गई. पुलिस ने एक सप्ताह पूर्व उन्हे गिरफ्तार किया था. वे किडनी की बिमारी और कैंसर से पीड़ित थे. पुलिस की गिरफ्तारी के बाद उनका इलाज अस्पताल में चल रहा था. परिजनों का आरोप है कि पुलिस की लापरवाही की वजह से महेश मंडल की मौत हुई है.
महेश मंडल कल्याण विभाग के अधिकारी थे. सृजन घोटाला के सामने आने पर उन्हे निलंबित कर दिया गया था. जांच में उनके पास आय से अधिक संपत्ति होने के प्रमाण मिले थे. उनके बेटे शिव मंडल भागलपुर जिले के युवा जदयू के उपाध्यक्ष रहे.
शिव जिला परिषद के सदस्य हैं. पुलिस की पूछ-ताछ में उन्होने स्वीकार किया था कि 3 करोड़ रुपया खर्च करने के बाद भी वे शिव मंडल को अध्यक्ष पद के लिए जीत नहीं दिलवा सके थे.
इस मामले में कई बीजेपी नेताओंं के नाम भी सामने आ रहे हैं.
मामला क्या है?
साल 2007 में संंस्था ने कॉपरेटिव बैंक खोला. आरोप है कि भागलपुर ट्रेजरी(सरकार) का पैसा यहां जमा किया जाता रहा है. पिछले कई सालों से कॉपरेटिव बैंक में जमा किया हुआ सरकारी धन को प्राइवेट जगहों पर लगाया जाता रहा है.
ताजे मामले में नगर विकास योजना के तहत 502 करोड़ की राशि बैंक में जमा की गई थी. सरकार के द्वारा इस राशि से भूमि अधिग्रहण किया जाना था. जबकि यह पूरी राशि गैर सरकारी संगठन सृजन महिला सहयोग समिति के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी गई. बाद में किसानों का चेक बाउंस होने पर यह मामला खुला. नियम यह भी है कि सरकारी पैसा सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में ही जमा होना चाहिए. जबकि इस मामले में भी नियमों को ताक पर रखा गया.
सृजन महिला सहयोग समिति क्या करती है?
गैर सरकारी संगठन ‘सृजन महिला सहयोग समिति’ 2003 में झारखंड से भागलपुर में स्थानांतरित हुआ. यह संस्था महिलाओं को प्रशिक्षण और रोजगार दिलाने का दावा करती है. साल 2003 में तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा शहर के बीचो-बीच मात्र 200 रुपया मासिक किराये पर संस्था को जमीन दे दी गई. जहां इसने अपना मुख्यालय बना लिया.
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