कुल्लू. दशहरे में स्थानीय प्रशासन की लापरवाही सबके सामने आ गई. दशहरे में करोड़ों का धन एकत्रित होता है और उसे प्रशासनिक अधिकारी अपनी मर्जी से खर्च करते हैं. ऐसे में अधिकारी जहां अपने लिए इसी धन से महंगे-महंगे पकवान मंगवाते रहते हैं, वहीँ स्थानीय पत्रकारों को बैठने के लिए भी मात्र चटाई दी गई.
मीडिया एक आईने की तरह होता है जो हर बात को संचार के माध्यम से जनता तक पहुंचता है. मगर कुल्लू प्रशासन ने मीडिया की इज्जत तार-तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. अधिकारियों ने जहां अपने लिए काजू, बादाम और सूखे मेवे मंगवाए , वहीँ स्थानीय मिडिया को पानी तक की सहूलियत नहीं दी गई. अधिकारियों ने अपने परिवार और रिश्तेदारों को बैठने के लिए सोफे मंगवा दिए मगर पत्रकारों को चटाई थमा दी. प्रशासन की यह बेरुखी देखकर बाहर से आये कई संवाददाता गेट से ही लौट गए.
हालांकि मीडिया प्रशासन से किसी प्रकार की मांग नहीं करती है, मगर प्रशासन का भी दायित्व बनता है कि मिडिया को सही स्थान और इज्जत दे. लेकिन कुल्लू प्रशासन ने जिस प्रकार से यहां कलम के सिपाहियों को शर्मसार किया, उससे सारा मीडिया जगत दुखी है. हालांकि बहुत से पत्रकार अपनी बेइज्जती देख कर यहां से चले भी गए, मगर जो रह गए उन्हें हाशिये पर धकेल दिया गया और जमीन पर बैठने का इशारा कर दिया गया.
यह मौका था कुल्लू दशहरे की अंतिम संध्या का जहां प्रशासन ने पत्रकारिता का तमाशा बनाने की कोई भी कसर नहीं छोड़ी. ऐसे में सवाल उठना यह भी लाजमी है कि क्या कुल्लू दशहरे में जो करोड़ों रुपये एकत्रित होते हैं, वह प्रशासनिक अधिकारियों के रिश्तेदारों पर उड़ाने के लिए होते हैं क्या…?