मंडी. जिले के जंजैहली में एसडीएम कार्यालय को लेकर चल रहा संघर्ष शनिवार को भी जारी रहा. आंदोलन के 15वें दिन लोग काले झंडे लेकर सड़कों पर उतरे और अपनी मांग को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे. हालांकि, मुख्यमंत्री ने इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए शिमला में संघर्ष समिति की बैठक बुलाकर समाधान निकालने का प्रयास किया था, मगर इस बैठक में कोई समाधान नही हो सका.
शिष्टमंडल ने रैली को संबोधित करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री और शिष्टमंडल के बीच हुई वार्ता पूरी तरह विफल हो गई. जिसमें मुख्यमंत्री ने जंजैहली के लोगों के प्रति कोई सहानुभूतिपूर्ण फैसला नहीं लिया.
संघर्ष समिति के सर दोष मढ़ रही है सरकार
इसी बीच जनता को संबोधित करते हुए जगदीश रेडी, नरेंद्र रेडडी , जस्सी देवी, महेंद्र तथा जयवंती ने कहा कि सरकार अनावश्यक रुप से उन पर जनता को भड़काने का आरोप लगा रही है. जबकि स्थिति बिल्कुल इसके विपरीत है. जनता को संयम और शांतिपूर्ण ढंग से अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने की अपील कर रहे है. इसलिए हम पर दोष मढऩा सरासर गलत है. लोग अपने अधिकारों की लड़ाई लडऩे के लिए सैवधानिक रूप से लड़ाई लड़ रहे हैं.
निकालें शांतिपूर्ण हल
उनका ये भी कहना है कि ठाकुर जयराम एक हिमाचल के मुख्यमंत्री की तरह अपने विधानसभा का शांतिपूर्ण हल निकालें क्योंकि सराज को क्षेत्रवाद में बांटना इस समस्या का हल नही है. उन्होंने कहा कि हमारा किसी भी क्षेत्र से कोई मतभेद नही है. हम अधिकार मांगते हैं क्योंकि उपमंडलाधिकारी नागरिक जंजैहली में पिछले डेढ़ वर्ष से चल रहा है. जिसे इस तरह स्थानांतरित करना लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है.
समिति की ओर से इसके पश्चात वार्ड तथा पंचायत वाइज कमेटी गठित की गई जिसमें प्रधान सेकेट्री और सदस्य बनाये गए, जिसमें मुयता रोड, धारजरोल, तुंगाधार, जंजैहलीए ढीम कटारु, बूंग रैलचौक शामिल किए गए और यह निर्णय लिया गया कि सोमवार 19 फरवरी से लोग जंजैहली में क्रमिक भूख हड़ताल पर उस समय तक बैठेंगे, जब तक सरकार उपमंडलाधिकारी नागरिक कार्यलय जंजैहली में यथावत नहीं रखती. अगर फिर भी मांग नही मानी गई तो आंदोलन को और तेज करते हुए आमरण अनशन पर भी बैठा जा सकता है.