नई दिल्ली. किसी भी चुनाव में पार्टी की रणनीति सबसे अहम मानी जाती है. जिसकी जितनी बेहतर रणनीति होती है, उसके जीतने कें चांस उतने ही बढ़ जाते हैं. हम कह सकते हैं कि जिस पहलवान के पास जितने ज्यादा दांव हो वह उतना ही बेहतर माना जाता है.
हम बीजेपी की रणनीति की बात कर रहे हैं. साल 2014 में चुनावों के बाद से बीजेपी की रणनीति चुनाव दर चुनाव बेहतर नजर आई है. वर्तमान में कई राज्यों में बीजेपी की सरकार भी बनी है. लेकिन हिमाचल विधानसभा चुनाव को लेकर क्या है बीजेपी की रणनीति डालते हैं एक नजर.
नरेंद्र मोदी की रैलियां
भारतीय जनता पार्टी अपने स्टार प्रचारकों के चेहरे का इस्तेमाल काफी सोच समझकर कर रही है. बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में अगर सबसे बड़ा चेहरा देखा जाए तो वह हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. पार्टी की रणनीति साफ है कि पीएम मोदी और अमित शाह जैसे बड़े चेहरे उन्ही जगहों पर भेजे जाएं, जहां ज्यादा से ज्यादा लोग कवर हो सकें.
इसके अलावा इनकी अभी तक हुई रैलियों पर नजर डाली जाए तो इनकी रैलियां उन जगहों पर हुई हैं जहां ज्यादा सीटों वाले जिले हैं और मतदाताओं की संख्या कहीं ज्यादा है. मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर जैसे बड़ी सीटों वाले जिले इनकी नजर में हैं. वहीं इनका ध्यान उन सीटों पर भी है जहां पार्टी के बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है. हमीरपुर की सुजानपुर सीट से बीजेपी के सीएम पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं बिलासपुर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, क्योकिं यह उनका गृह जिला है. इसी लिए इन सभी जिलों में प्रधानमंत्री मोदी की रैलियां आयोजित करवाई गईं.
उन जिलों पर भी जोर दिया जा रहा है जहां सीटें तो ज्यादा हैं ही, साथ ही पार्टी की हालत भी पिछले चुनाव में ठीक नहीं रही थी. 2012 में कांगड़ा जिले में 15 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी महज 3 पर ही जीत दर्ज कर पाई थी. इसी लिए जिले में मोदी ने 2 रैलियों को संबोधित किया. यानी मकसद साफ है कि बीजेपी इस बार यहां से कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसके अलावा जो बाकी स्टार प्रचारकों की लिस्ट में हैं वह दूसरी सीटों पर नजर रखे हुए हैं.
सोशल मीडिया
चुनाव के दौरान बीजेपी सोशल मीडिया का बखूबी इस्तेमाल करती है. हिमाचल विधानसभा चुनाव में भी यही रणनीति देखने को मिल रही है. बीजेपी की सोशल मीडिया सेल पीएम मोदी से लेकर अमित शाह, राजनाथ सिंह और तमाम बीजेपी के नेताओं की रैली फेसबुक लाइव के जरिए लोगों तक पहुंचा रही है.
बीजेपी के पेज से लेकर नेताओं के अपने अकाउंट और फेसबुक पेज से चुनाव प्रचार कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक जुड़ने की कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है.
भितरघात से बचाव
हिमाचल विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बागियों को लेकर थी, जो टिकट न मिलने की वजह से पार्टी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने का मन बना चुके थे. लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी इन बागियों से निपटने को लेकर काफी हद तक सफल रही है.
हमीरपुर की भोरंज सीट से आईडी धीमान के पुत्र अनिल धीमान जो कि वर्तमान विधायक हैं उनका टिकट पार्टी ने काट दिया था. जिसके बाद उन्होंने अपने दम पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया था. लेकिन बीजेपी इन्हें मनाने में कामयाब रही और उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया.
इसी तरह चंबा के सिटिंग विधायक बीके चौहान भी टिकट न मिलने से बागी हो गए और उन्होंने तो नामांकन भी कर दिया. लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती से पंचायत टाइम्स की हुई बातचीत में सत्ती ने बताया कि बीके चौहान मान गए हैं और अपना समर्थन बीजेपी प्रत्याशी को देने के लिए राजी हो गए हैं.
बिलासपुर जिले की झंडुता सीट से सिटिंग विधायक रिखी राम कोंडल भी भाजपा का टिकट न मिलने की वजह से बागी हो गये थे और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की थी लेकिन बीजेपी ने इन्हें भी बैठ जाने को राजी कर लिया है.
कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी हर कदम पर रणनीति के साथ ही चल रही है. पार्टी कहीं से भी कोई भी कसर छोड़ने के मूड में नहीं है. अब यह तो फैसले के दिन ही पता चल पाएगा कि इनकी रणनीति कितनी कारगर साबित होती है.