बारां : राजस्थान के बारा जिले में अब कुपोषण से सफलता मिलने लगी है. शुरुआत में 11 गांवों से अपने कार्य को शुरू की गई थी. यह अभियान आदिवासी जनजाति सहरिया बाहुल्य शाहाबाद व किशनगंज के लगभग सवा सौ गांवों में चला जा रहा है. इसके साथ ही घर-घर जाकर लोगों को कुपोषण की जानकारी दी जा रही है. कार्य को विस्तार देते हुए इसे समुदाय आधारित भी किया जा रहा है.
इस दौरान कुपोषण विषेशज्ञ मीता ने बताया कि कुपोषण के लिए खासतौर से जिम्मेदार डायरिया जैसी बीमारी है. पांच वर्ष तक के बच्चे कुपोषण के शिकार ज्यादा होते हैं. इससे ग्रसित बच्चे ही सर्वाधिक रूप से कुपोषित पाए जाते हैं. संस्था प्रतिनिधियों द्वारा गांवों में जाकर लोगों व शिशुओं की माताओं को व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ घर-आंगन व आसपास की साफ-सफाई के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है.