शिमला. हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव में एक परिवार से एक को ही टिकट कांग्रेस की नीति नहीं चल पाई। या यह कह लो वीरभद्र के दबाव के आगे एक बार फिर कांग्रेस हाईकमान को हार मानकर घुटने टेकने पड़े हैं।
नतीजतन चुनावी मैदान में राजनीतिक वारिस भी कूदे है। एक परिवार से एक को टिकट नीति छोड़कर कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री वीरभद्र के पुत्र विक्रमादित्य सिंह हो या फिर स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह की पुत्री चंपा ठाकुर को टिकट दी।
विक्रमादित्य शिमला ग्रामीण तो चंपा मंडी सदर से उम्मीदवार है। जिनके नाम बतौर प्रत्याशी कांग्रेस की अंतिम सूची में जारी हुए। ऐसे में जब मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कांग्रेस की टिकट आबंटन की नीति बदलवाने में सफल रहे। मुख्यमंत्री वीरभद्र ने अपनी शिमला ग्रामीण सीट बेटे के लिए छोड़ी थी और खुद अर्की से चुनाव लड़ने का फैसला लिया था। इनके दबाव के आगे कांग्रेस हाईकमान ने अपनी नीति बदल दी। जिससे यह भी स्पष्ट है कि वीरभद्र का हाईकमान में अभी भी दबदबा है।
पहले सत्ता और संगठन के बीच हुए वर्चस्व की लड़ाई में भी सीएम को ही सफलता मिली। जिसका ही नतीजा रहा कि राहुल ने उन्हें मंडी दौरे के दौरान सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर दिया। अब एक बार फिर वीरभद्र अपनी बात मनवाने में कामयाब रहे। जबकि बेटे की सीट पर सस्पेंस बरकरार था। अब बेटे की जीत की राह आसान होती है या नहीं यह देखना होगा। बहरहाल हिमाचल में चुनावी बिसात बिछ चुकी है। अब बागियों को मनाने में दोनों दल जुटे है।
बीबीएल बुटेल ने बेटे के लिए छोड़ा चुनाव
विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल के बेटे आशीष बुटेल को भी टिकट मिला है। जो पालमपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी है। मगर इस राजनीतिक वारिस के लिये पिता ने खुद चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है।