नई दिल्ली. चारा घोटाला से जुड़े देवघर कोषागार मामले में लालू यादव समेत 15 आरोपियों को दोषी करार दिया गया है. जबकि इसी घोटाले से जुड़े एक अन्य मामले में उन्हें बरी किया गया है. अगले साल तीन जनवरी को कोर्ट सजा सुनायेगी. तब तक उन्हें न्यायिक हिरासत में लेकर कोर्ट ने रांची जेल भेज दिया है. जगन्नाथ मिश्रा सहित छह आरोपियों को इस मामले में बरी कर दिया गया है.
चारा घोटाला 1996 में प्रकाश में आया. आरोप के मुताबिक पशुचारा के नाम पर सरकारी कोष से 950 करोड़ रुपये फर्जीवाड़ा करके निकाल लिये गये. साल 2013 में चारा घोटाले से जुड़े 53 में से 44 मामलों में सुनवाई पूरी हुई. मामले से जुड़े 500 से ज्यादा लोगों को दोषी पाया गया. विभिन्न अदालतों ने दोषियों को 5 से 6 साल तक की सजा सुनाई.
चारा घोटाले के एक मामले में दोषी पाते हुये लालू यादव पर इसी साल 37 करोड़ का गबन साबित हो चुका है. हालांकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गयी है.
कब क्या हुआ?
10 मई 1997 को सीबीआई ने पाया कि लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले से जुड़े हैं. सीबीआई ने बिहार के राज्यपाल से लालू प्रसाद यादव पर कार्रवाई करने की मांग की. इसी दिन घोटाले के एक अन्य आरोपी हरीश खंडेलवाल की लाश रेलवे पटरी पर मिली. राज्यपाल से अनुमति मिलने के बाद 17 जून 1997 को सीबीआई ने बिहार के पांच बड़े अधिकारियों को हिरासत में लिया.
23 जून 1997 को सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव सहित 53 आरोपियों पर चार्जशीट दाखिल किया. लालू यादव ने रिहाई के लिये सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने लालू को जमानत देने से इनकार कर दिया. इसी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को भी जेल भेजा गया, लेकिन वे सुप्रीम कोर्ट से जमानत लेने में कामयाब रहे.
चारा घोटाले की बदनामी के बाद तात्कालीन जनता पार्टी के कुछ नेताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया. इसके बाद लालू प्रसाद यादव ने बिहार के सभी विधायकों को लेकर अलग पार्टी बना ली. पांच जुलाई 1997 को लालू की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जनता दल अस्तित्व में आई.
25 जुलाई को लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. सत्ता परिवार के पास ही रही. 28 जुलाई 1997 को राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री बनीं. नई सरकार ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस की सहायता से विश्वासमत हासिल किया. इस समय लालू यादव जेल में थे. 135 दिन जेल में रहे. 12 दिसंबर 1997 को लालू रिहा हुये. पांच अप्रैल 1998 में एक बार फिर उन्हे आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. लालू 11 दिन जेल में रहे. 28 नवंबर 2000 को लालू को एक बार फिर एक दिन जेल में रहना पड़ा.
साल-दर-साल बीतता रहा. साल 2007 में 58 पूर्व अधिकारियों और आपूर्तिकर्ता को दोषी ठहराया गया. सभी को 5-6 सालों की सजा मिली. एक मार्च को एक और मामले में सीबीआई ने पटना कोर्ट में लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र सहित 32 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया गया. कुल 38 आरोपियों में न्यायालय में ट्रायल के दौरान 11 का निधन हो गया. तीन आरोपी को सरकारी गवाह बनाया गया.
चारा घोटाले के दो आरोपी प्रमोद कुमार जायसवाल और सुशील कुमार झा ने मामले की ट्रायल के दौरान दोष स्वीकार कर लिया था.