शिमला. प्रदेश सरकार की दोगली और भेदभावपूर्ण नीतियों की वजह से अनुबंध से नियमित हुए कर्मचारियों में गहरा रोष है. सरकार की अनुबंध नीति को सभी विभाग और सरकार अपनी मर्जी से लागू कर रही है. एक तरफ कईयों को इसी सरकार के कार्यकाल में 7 व 6 वर्ष बाद नियमित किया गया. वहीं कई कर्मचारियों को 5 व 3 वर्ष के बाद ही नियमित कर दिया जा रहा है.
इसी भेदभावपूर्ण नीति का एक ताजा उदाहरण स्वास्थ्य विभाग में देखने को मिला है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनुबंध रेडियोलॉजिस्ट और लैब असिस्टेंट को कुछ माह पूर्व 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने पर नियमित किया गया था. लेकिन बीते माह 29 सितम्बर को स्वास्थ्य विभाग ने अपने 5 वर्ष बाद नियमितीकरण के आदेश वापस ले लिए. इन कर्मियों के 3 वर्ष बाद नियमितीकरण के आदेश जारी कर इन्हें बैकडेट अर्थात 2015 तक तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करने पर नियमित कर दिया गया. इसके साथ ही इन पर न ही 31 मार्च की शर्त लगी, न ही 30 सितंबर की. जबकि 2015 में तो नियमितीकरण के लिए 3 वर्ष की नीति ही नहीं थी.
भाजपा सरकार के कार्यकाल में नियुक्त कर्मियों का दोष क्या
प्रदेश में 20 हजार से ऊपर वो अनुबंधकर्मी जो 8 से 5 वर्ष तक का कार्यकाल पूरा करके नियमित हुए हैं. वह सरकारों की इस नीति को लेकर बेहद खफा हैं. उनका मानना है कि जिन अनुबंधकर्मियों को पिछली भाजपा सरकार ने नियुक्त किया. उनको वर्तमान सरकार ने 8 से लेकर 6 वर्ष बाद का कार्यकाल पूरा करने के बाद नियमित किया गया. जबकि अपने कार्यकाल में नियुक्त कर्मियों को इसी सरकार ने 3 वर्ष की नीति बना कर नियमित किया है. इतना ही नहीं इस कार्यकाल में नियुक्त कर्मियों को बैक डेट से नियमित करना इसका जीवंत उदाहरण है.
जहां मौजूदा सरकार अपने कार्यकाल में नियुक्त कर्मियों को नियमितीकरण करने के लिए 3 वर्ष तथा दो तिथियां 31 मार्च और 30 सितंबर रख दी. वहीं इससे पहले के अनुबंध कर्मियों के लिए यही तिथि 31 मार्च रख कर उनके नियमितीकरण को 5 माह से लेकर 1 वर्ष तक लटकाए रखा. इन कर्मचारियों का मानना है कि इनका कसूर मात्र इतना था कि यह पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में नियुक्त हुए थे.
पिछली सरकार ने भी जाते जाते मात्र 6 वर्ष बाद नियमित करने की नीति ही बनाई जो कि अनुबंध कर्मियों को रास नहीं आई. जिसके चलते उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ा लेकिन मौजूदा सरकार ने भी अनुबंधकर्मियों पर राजनीति की जहां पहले से नियुक्त कर्मियों को कहने को 6 व 5 वर्ष बाद नियमित किया. उनपर ही 31 मार्च की शर्त थोप दी. अपने कार्यकाल में नियुक्त कर्मियों के लिए अनुबंध काल 3 वर्ष व नियमितीकरण के लिए 31 मार्च की शर्त के साथ 30 सितंबर की शर्त लगा कर राहत दी.
सभी कर्मियों के लिए एक नीति
हिमाचल अनुबंध अध्यापक संघ के पूर्व अध्यक्ष राजेश जय सिंह पुरिया ने कहा, हम सरकार से जानना चाहते हैं की क्या जो पिछली सरकार के कार्यकाल में नियुक्त हुए हैं उनका जानबूझकर शोषण किया गया. कई वर्गों को सरकार बिना मांगे सब कुछ दे रही है. तो निर्धारित चयन प्रक्रिया को पूरा कर नियुक्त कर्मियों को न तो उनके वित्तीय हक दिए जा रहे हैं. न ही उन्हें उनके अनुबंध काल की वरिष्ठता दी जा रही है.
चुनाव होने वाले हैं अब अनुबंध कर्मी केवल उसी दल को समर्थन देंगे जो पार्टी अनुबंध कर्मियों को प्रथम नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता लाभ देने के साथ-साथ प्रोबेशन पीरियड को खत्म कर अनुबंध से नियमित हुए कर्मचारियों को इनिशीयल वेतन देगी.
समान नीति लाने वाले को समर्थन
अनुबंध कर्मी उसी पार्टी का समर्थन करेंगे जो पिछले सभी अनुबंध कर्मियों को तीन वर्ष की नियमितीकरण नीति का एक समान लाभ देंगे व भविष्य में अनुबंध पर भर्तियां बंद करने का भरोसा देगी. शिक्षा विभाग में ऐसे कर्मियों की संख्या ज्यादा है. अनुबंध कर्मियों का कहना है कि यदि सरकार ने सभी को 3 वर्ष का लाभ नहीं दिया तो वह इस चुनाव में कांग्रेस की खिलाफत करेंगे