नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र ने नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की. उन्होंने केंद्रीय मंत्री से बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं के तहत नए लोन पर सीमा लगाने के निर्णय की समीक्षा करने का आग्रह किया है.
उन्होंने कहा कि इस फैसले पर पुनर्विचार करने से विभिन्न क्षेत्रों की विकासात्मक गतिविधियों में सहायता मिलेगी. उन्होंने बाह्य वित्त पोषण के लिए आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से संस्तुत छह प्रस्तावों के ऋण समझौतों पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया.
मुख्यमंत्री ने 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के अनुरूप जिला मंडी में ग्रीन फील्ड हवाई अड्डे के लिए एक हजार करोड़ रुपये और कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार के लिए 400 करोड़ रुपये देने का भी आग्रह किया.
भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल परियोजना में 100 फीसदी मदद
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू ने वित्त मंत्री से वर्तमान वित्त वर्ष के लिए नेशनल पेंशन स्कीम अंशदान की राशि के बराबर राज्य की अतिरिक्त कर्ज लेने की सीमा को कम करने के निर्णय की समीक्षा करने आग्रह किया. उन्होंने सामरिक महत्व की भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल परियोजना को सौ प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषित परियोजना घोषित करने या बेरी तक विस्तार के दृष्टिगत राजस्व साझा करने की प्रणाली की संभावना तलाशने के लिए भी आग्रह किया है.
इस बैठक में मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा भी मौजूद थे.
नए ऋणों पर सीमा लगाने के निर्णय की समीक्षा का अनुरोध
उन्होंने केंद्रीय मंत्री से बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं के तहत नए ऋणों पर एक सीमा लगाने के निर्णय की समीक्षा करने का अनुरोध किया और कहा कि इस निर्णय पर पुनर्विचार करने से विभिन्न क्षेत्रों में विकास में मदद मिलेगी.
क्या मिलेगा हिमाचल को केंद्र का सहयोग?
हिमाचल प्रदेश में छह महीने पहले सत्ता परिवर्तन हुआ है. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में केंद्र और राज्य के बीच समन्वय स्थापित कर आगे बढ़ने की चुनौती रहने वाली है. हालांकि मुख्यमंत्री सुक्खू पार्टी लाइन से हटकर प्रदेश के विकास के लिए केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं.
सीएम सुक्खू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी हिमाचल प्रदेश के लिए सहयोग मांगा है. हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री कि इन मुलाकातों का कोई फायदा हिमाचल प्रदेश को मिलता भी है या नहीं. अंदेशा ऐसा भी है कि यह मुलाकात केवल शिष्टाचार मुलाकात बनकर ही न रह जाए.