शिमला. देश के अन्य राज्यों की तरह हिमाचल में भी लंपी चर्म रोग पशुओं में तेजी से फैल रहा है. अभी तक यह प्रदेश के 7 जिलों में अपने पैर पसार चुका है. लंपी के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए सरकार ने इसे महामारी घोषित कर दिया है और साथ ही जिन पशुओं की मौत लंपी बिमारी के कारण हुई है उनके मालिकों को मुआवजा देने का भी ऐलान किया है. अभी तक इस वायरस से कुल 79 मवेशियों की मौत हो चुकी है.
पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा है कि सरकार लंपी वायरस को लेकर एक्शन मोड में है जैसे ही हमें पता लगता है कि इस पशु में वायरस के लक्षण हैं वैसे ही हम उस क्षेत्र को कंटोनमेंट जोन घोषित कर देते हैं. इसके बाद विभाग उस क्षेत्र के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी स्वस्थ पशुओं को वैक्सीन देने का कार्य करता है.
हिमाचल में कब आया लंपी का पहला मामला?
प्रदेश में लंपी का पहला मामला 22 जून को शिमला के पंथाघाटी से ट्रैस हुआ. पंथाघाटी में यह वायरस एक गाय के अंदर पाया गया जो एक ग्वाले द्वारा पंजाब से लाई गई थी. इसके बाद धीरे-धीरे करके यह प्रदेश के 7 जिलों में फैल चुका है और अभी तक लगभग 1357 पशु इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं.
लंपी से ग्रसित सात जिले
लंपी वायरस की चपेट में आए हिमाचल के 7 जिले हैं- सिरमौर, शिमला, सोलन, हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना, और कांगड़ा.