सोलन. शहर में कई ऐसे भवन मौजूद हैं जो कि तेज हवाओं या बारिश से पल भर में ताश के पत्तों की तरह ढ़ह सकते हैं. अगर कोई हादसा हुआ तो सैकड़ों लोगों को अपने जान-माल का नुकसान उठाना पड़ सकता है. लेकिन न तो इन मकानों में रह रहे लोगों को इस बारे में चिंता है, न ही प्रशासन इस मामले पर समुचित ध्यान दे रहा है.
प्रदेश में ऐसे कई पुराने भवन अासानी से दिख जाएंगे जो एकदम खस्ताहाल है. लेकिन प्रशासन आंखे मूंद कर बैठा है. कई लोगों की जान जोखिम में है, पर किसी को कोई चिंता नहीं. हैरानी की बात है कि जिला प्रशासन ऐसे भवनों की मौजूदगी के बाद भी, क्षेत्र को असुरक्षित भवनों से मुक्त बता रहा है.
प्रशासन का कहना है कि शहर के अधिकतर पुराने भवन जो असुरक्षित थे, उन्हें तोड़कर अब नए घर बना लिए गए है. शहर अब असुरक्षित भवनों से मुक्त है. हालांकि सच्चाई कुछ और ही है. जिला मुख्यालय के आसपास भीड़भाड़ वाले इलाके में ऐसे कई भवन हैं, जो अब भी असुरक्षित हैं. यह कभी भी तेज हवाओं या बारिश की भेंट चढ़ सकते हैं. हाटकोटी मंदिर के समीप हुए हादसे के बाद भी जिला प्रशासन सतर्क नहीं हुआ है.
इस बारे में जब नगर परिषद के अध्यक्ष दवेंद्र ठाकुर से पुछा गया, तो उन्होंने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने कहा कि जो भवन सोलन में असुरक्षित हैं, उन भवनों में ज्यादातर किराएदार बैठे हैं और कम किराए की वजह से भवनों को खाली नहीं कर रहे है. दवेंद्र ने कहा कि कईयों के मामले न्यायालय में विचाराधीन है. इस लिए उन्हें खाली नहीं करवाया जा सकता है. अगर इन भवनों में कोई दुर्घटना घटती है तो उसका जिम्मेदार भवन का मालिक होगा.
अब देखना यह होगा की कोर्ट का फ़ैसला कब आएगा और कब नगरपरिषद इन भवनों को हटाने में कामयाब होगा. वहीं यदि इस बीच कोई हादसा होता है तो उसका ज़िम्मेदार कौन होगा?