शिमला. देश के उत्तरी भाग में लगातार समय से पहले हो रही तापमान में बढ़ोतरी का असर हिमाचल में गेहूं की फसल पर पड़ने का भी अंदेशा जताया जा रहा है. एक अनुमान के अनुसार मौसम में आए बदलाव के कारण प्रदेश के असिंचित इलाकों में गेहूं के उत्पादन में 30 से 40 फीसदी तक की कमी आ सकती है.
इससे पहले पिछले साल भी फरवरी और मार्च में अचानक तापमान के बढ़ने से गेहूं की पैदावार पर खासा असर पड़ा था. इस बार भी स्थिति पिछले साल की तरह ही बनने लगी है. पिछले साल गेहूं के दाने का आकार काफी छोटा रह गया जिसका असर गेहूं पर तो नहीं दिखा, लेकिन जब थ्रेसिंग शुरू हुई तो उत्पादन पर असर देखा गया.
सब्जियों पर भी पड़ेगा असर
राज्य के कृषि अधिकारियों के अनुसार अगर अगले दो हफ्ते तक बारिश नहीं होती है तो बारिश पर निर्भर किसानों की फसलों खासकर गेहूं, जौ, बंद गोभी, फूल गोभी, मटर टमाटर सहित चना और अरहर की दालों पर खासा पड़ सकता है. इसके साथ ही हिमाचल में अधिकारियों ने नुकसान को लेकर फील्ड से रिपोर्ट भी लेनी शुरू कर दी है.
इसके साथ ही हिमाचल की चेरी पर भी इस साल सूखे की मार पड़ने का अंदेशा है. बगीचों में नमी न होने के कारण चेरी उत्पादकों को इस साल उत्पादन प्रभावित होने का डर सता रहा है. वहीं, सूखे के कारण हिमाचल की चेरी की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है. हिमाचल में सालाना 300 से 350 मीट्रिक टन चेरी का उत्पादन होता है.