कुल्लू(ढालपुर). ज़िला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में चल रही 7 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव का लंका दहन के साथ समापन हो गया है. देवताओं के इस महाकुंभ में हजारों लोगों सहित सैंकड़ों देवी-देवताओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. विश्व के सबसे बड़े देव महाकुंभ एवं अनूठी परंपराओं का संगम कुल्लू दशहरा पर्व में रघुनाथ की रथ यात्रा के बाद विधिवत रूप से शुक्रवार को लंका दहन के नजारे के हजारों लोग गवाह बने.
लिहाजा, सात दिनों तक चलने वाले इस महाकुंभ में सैंकड़ों देवी-देवताओं के साथ रघुनाथ जी ने लंका पर चढ़ाई कर रावण परिवार के साथ बुराई का भी अंत किया है. लंका चढ़ाई के लिए हुई रथ यात्रा में यहां पहुंचे सभी देवी-देवताओं ने भाग लिया. लंका दहन के साथ ही अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का समापन हुआ.
रथयात्रा
गोबर के बने रावण मेघनाथ व कुंभकर्ण को तीर से भेदने के बाद लंका में आग लगाई गई. रथयात्रा सफलतापूर्वक संपन्न होते ही देवी-देवताओं ने अपने-अपने स्थलों की ओर जाना आरंभ कर दिया. राजपरिवार के सदस्य महेश्वर सिंह, दानवेंद्र सिंह, हितेश्वर सिंह ने अपनी पारंपारिक वेशभूषा में सुसज्जित होकर रघुनाथ जी की रथयात्रा की अगवाई की. इस रथयात्रा में देवी हडिंबा के आते ही यात्रा का शुभारंभ हुआ. भगवान रघुनाथ जी की रथ यात्रा आरंभ होते ही जयाकारों के उदघोषों व वाद्ययंत्रों से सारा वातावरण कुछ क्षणों के लिए गुंजायमान हो गया.
रथयात्रा पूरी होने पर रथ को ढालपुर मैदान से रथ मैदान तक लाया गया जहां से रघुनाथ जी की प्रतिमा को पालकी में प्रतिष्ठित करके उनके कारकूनों, हारियानों व सेवक ढोल-नगाड़ों व जयकारों के उदघोषों के साथ रघुनाथ में उनके स्थाई मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद स्थापित किया गया. इसी के साथ सात दिवसीय कुल्लू दशहरा सपंन्न हो गया। रघुनाथ जी की रथ यात्रा को सफलतापूर्वक संपन्न करवाकर जिला भर से आए देवी-देवताओं ने अपने स्थलों की ओर जाना आरंभ कर दिया.