शिमला. जब जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों की ही न सुनी जाए तो वह लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए घातक है. जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा उठाये गए मुद्दों तक को भी सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया, इससे अधिक शर्मनाक बात क्या होगी? राज्य सरकार तालमेल करती तो केंद्र तक हमारी बात पहुंचती और वित्तीय शक्तियां छीनने का मामला भी किसी सकारात्मक नतीजे तक पहुंच पाता.
पंचायत टाइम्स की राज्य ब्यूरो प्रमुख सीमा शर्मा से झाकड़ी वार्ड से जिला परिषद सदस्य दलीप कायथ ने साझा किया कि सरकार ने लोकतंत्र प्रणाली से चुन कर आए जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की है. उनकी नाराजगी पंचायतीराज मंत्री से भी है. सरकार से और क्या कुछ नाराजगी रही जिला परिषद सदस्य की, पेश है इनसे हुई बातचीत के अंश
सवाल – वितीय शक्तियां छीनने के बाद काम में कोई बाधा?
जवाब – जिला परिषद सदस्यों को सबसे अधिक दिक्कत केंद्र से डायरेक्ट फंड न मिलने के कारण हुई है. 14वें वित्त आयोग में केंद्र ने जिला परिषद के लिए फंड का प्रावधान नहीं किया है. जबकि पहले 50 प्रतिशत जिला परिषद, 30 प्रतिशत पंचायत समिति सदस्य और 20 प्रतिशत फंड का प्रावधान प्रधानों के लिए किया गया था. जो फंड अब शत प्रतिशत प्रधानों के पास जा रहा है. राज्य सरकार ने अपने स्तर पर प्रोविजन तैयार किया है. जिसके बाद कहीं जाकर पूरे प्रदेश के जिला परिषद सदस्यों को 42 करोड़ रुपये मिले हैं. प्रदेश भर के जिला परिषद सदस्यों के हिस्से में 10 से 12 लाख रुपये ही आए.
सवाल – फिर से वितीय शक्तियां हासिल करने को कोई योजना?
जवाब – राज्य में नई सरकार बनते ही वितीय शक्तियों को लेकर काॅऑर्डिनेशन कमेटी बनाई जाएगी. मामले पर भूमिका तैयार कर दी गई है. वितीय शक्तियों का मामला एक बार फिर केंद्र के सामने उठाया जाएगा.
सवाल – जिला परिषद सदस्यों ने फंड का इस्तेमाल नहीं किया या फिर दुरुपयोग किया, ऐसे में केंद्र की सख्ती सहीं नहीं क्या?
जवाब – यदि पैसा उपयोग न किए जाने की बात की जा रही है तो केंद्र के मंत्री भी फंड नहीं खर्च कर पाते. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर बोलते है कि प्राॅपर काम नहीं हो रहा है. फंड के दुरुपयोग की शिकायत है तो सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए.
सवाल – कार्यकाल के दो साल में आपकी उपलब्धि?
जवाब – जब पैसा ही नहींं तो काम कैसे करें. भाजपा हो या कांग्रेस सचाई यही है कि धरातल पर किसी भी संस्था के माध्यम से मिलने वाले पैसे में कटौती ही की गई है. बुनियादी सुविधा नहीं है. मेरे अपने वार्ड में बीस साल पुरानी सड़क को भी पक्की होने का इंतजार है. एक भी स्कूल ऐसा नहीं है जहां पूरे शिक्षक हों, हर जगह स्कूल में पद खाली चल रहे हैं. झाकड़ी वार्ड में पटैना गांव है जो मुख्य संसदीय सचिव नंदलाल के गृह क्षेत्र में आता है फिर भी यहां मिडिल स्कूल में शिक्षक पूरे नहीं हैं. स्वास्थ्य सुविधाएं भी इसी तरह चरमरा रही हैं. सीपीएस स्वास्थ्य होने के बावजूद नंदलाल का अपना गृह क्षेत्र स्वास्थ्य की दिशा में प्रदेश के सबसे पिछड़े क्षेत्र में आता है. रामपुर खनेरी अस्पताल हो या प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल आईजीएमसी स्वास्थ्य उपकरण तक पूरे नहीं हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में एक्सरे, अल्ट्रासाउंड जैसे छोटे स्वास्थ्य परीक्षण भी नहीं हो पा रहे हैं.
सवाल – हाल ही में पांच साल पूरे करने वाली सरकार को कितने अंक देंगे?
जवाब – बुनियादी जरूरतें पूरी करने में वर्तमान सरकार विफल रही है. शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल सुविधा के अतिरिक्त नौजवानों को प्रोत्साहन तक नहीं मिला. रामपुर में जो ज्यूरी काॅलेज था उस पर आज ताले लगे हुए है. ज्यूरी में ही सरकार ने इंजीनियरिंग संस्थान खोलने की घोषणा की लेकिन हुआ बीते चार सालों से ज्यूरी के नाम पर काॅलेज मंडी जिला सुदंरनगर में चल रहा है. बेहतर होता इसका नाम ज्यूरी की बजाय सुदंरनगर ही रखते कम से कम यहां के लोगों के साथ ऐसा मजाक तो न होता. यही स्थिति रामपुर के बहुप्रतिक्षित चाटीपुल की है. जो बीते पांच साल से बन रहा है लेकिन आज भी पूरा नहीं हुआ. 21वीं सदी में भी लोग झूले के सहारे जान का जोखिम लेकर सतलुज नदी पार करने को मजबूर हैं. अब तक यह झूला कई जानें ले चुका है. मगर पुल है कि तैयार ही नहीं होता.
सवाल – पंचायतीराज को सशक्त करने के लिए क्या होना चाहिए?
जवाब – पंचायतीराज को सशक्त करने के लिए जरूरी है कि 13वें वित्त आयोग में जिस तरह बजट चल रहा था वैसा ही प्रबंध हो. जनता द्वारा चुने गए जन प्रतिनिधियों द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों को गंभीरता से लिया जाए.
सवाल – पंचायतीराज मंत्री की परफोर्मेंस कैसी रही?
जवाब – पंचायतीराज मंत्री अनिल शर्मा का योगदान शून्य रहा. मंत्री ने ग्राम सभाओं को सफल बनाने तक के लिए कोई प्रयास नहीं किया. हमने तो कभी सुना नहीं कि मंत्री कभी किसी ग्राम सभा में गए हो. जिला परिषद सदस्यों की दिक्कतों को भी गंभीरता से नहीं लिया.
सवाल – आने वाले समय के लिए आपका विजन?
जवाब – आगामी तीन साल के लिए मेरा विजन है कि सड़कें, शिक्षाा, स्वास्थ्य व पेयजल सुविधा के अतिरिक्त युवाओं के लिए खेल के मैदान बनाए जाएं. रामपुर क्षेत्र में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व संसदीय सचिव नंदलाल का गृह क्षेत्र होने के बावजूद भी इन सुविधाओं से अब तक पिछड़ा है. मेरे वार्ड में 9 पंचायतें हैं. जिनमें गोपालपुर, झाकड़ी, गौरा, शिंगड़ा, रचोली, डंसा, लालसा, दियोठी व कूल पंचायतें आती है.
सवाल – आपके झाकड़ी वार्ड में किस पंचायत का काम सबसे बेहतर रहा?
जवाब – मेरे वार्ड में रचोली पंचायत के प्रधान लालचंद अच्छा काम कर रहे हैं. जबकि सीपीएस के घर की दियोठी पंचायत में लगातार मनरेगा में धांधली की शिकायतें आ रही हैं. मनरेगा काम देने के लिए भी लोगों का चयन किया जा रहा है. राजनीतिक रूप से यहां भेदभाव हो रहा है जो अपने दल के नहीं उन्हें काम नहीं दिया जा रहा, यदि दिया गया तो घर से 10 किलोमीटर दूर.