करसोग (मंडी). करसोग में 13 फरवरी को हर वर्ष की तरह इस बार भी करसोग में महा शिवरात्री का पर्व धूमधाम से मनाया गया. ऐतिहासिक शक्ति पीठ ममलेश्वर महादेव ममेल में मंगलवार सुबह से ही श्रद्वालूओं का तांता लगा रहा. बारिश और कड़ाके की ठंड के बावजूद भी श्रद्वालूओं ने शिव भगवान के दर्शन और शिवलिंगों की पूजा-अर्चना की गई.
इस अवसर पर प्राचीन ऐतिहासिक प्रसिद्ध शक्ति पीठ ममलेश्वर महादेव मंदिर ममेल, शिव घाम देहरी, अल्याड ठाकुर ठाणा के सोमेश्वर, शाहोट के देव दवाली, मैंहढी के देव थनाडी, शंकर देहरा, तेवन के तेवणी महादेव, इमला विमला के त्रेवणी, बगशाड के अशणी महादेव और ततापानी के सरौर में शिवरात्री का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया. हजारों की सख्यां में श्रद्वालुओं ने शिवालयों में पूजा-अर्चना कर शिव लिगों पर पंचगव्य, विल्लपत्र और जलाभिषेक किया. हर साल की भांति इस बार भी ममलेशवर महादेव मंदिर ममेल में रात्री जगराते का आयोजन किया जाएगा. बुधवार को भंडारे का आयोजन किया जाएगा.
प्राचीन काल से ही इस मंदिर की विषेश महत्वता है. प्रत्येक घर में शिवरात्री के दिन प्रत्येक घर में कपास के मोटे धागे में नारगी रूप के कैंमटू के दोनों के बीच जौ, पाजा, कुषा, वनक्षा पीरो कर लम्बाई के अनुसार दो दर्जन से अधिक के दाने शिवरात्री के दिन सवेरे ही पिरोए जाते हैं. फिर कमरे के एक कोने में चावल का चैका दे कर वहां पर वावरू, भले और गेहूं के आटे का विशेष रोट बना कर माला को छत से लटका कर इसे महादेव का रूप मानते हैं. पूरा परिवार मिल कर इसकी पूजा अर्चना करते हैं.
लोग इस दिन व्रत रखकर अपने उज्जवल भविष्य की कामना करते है. रात को गांव के सभी लोग इक्ठे हो कर प्रत्येक घर में जाकर शिव गान कर नाच गान करते हैं. दूसरे दिन सवेरे ही इस माला को निकाल कर घर के एक कोने में शिव रक्षक मान टांग कर पूरे साल रखा जाता है.