नई दिल्ली. नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापिका सदस्य मेधा पाटकर 14 दिनों के बाद आज जेल से रिहा हो सकती हैं. उन्हे इंदौर हाई कोर्ट से बुधवार को जमानत मिल गई है. कोर्ट ने 40 हजार के निजी मुचलके पर उन्हे यह जमानत दी है. मेधा पाटकर पर शर्त भी लगाई गई है कि वे सरकारी काम-काज में बाधा नहीं डालेंगी.
पुलिस ने मेधा पाटकर को अपहरण और शांति भंग के आरोप में 9 अगस्त की शाम मध्यप्रदेश के पीथमपुर से गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद उन्हें एसडीएम भव्या मित्तल के यहां पेश किया गया. एसडीएम ने डूब क्षेत्र में नहीं जाने के संबध में बांड भरने और मुचलका राशि जमा करने को कहा, जिसे मेधा पाटकर ने इनकार कर दिया. इसके बाद एसडीएम ने उन्हें जिले के धार जेल में भेजने का आदेश दिया गया था.
@NarmadaBachao नेत्री मेधा पाटकर की ओर से तर्क दिया गया कि अनशन करना कोई अपराध नहीं है।
— Rehmat (@Rehmat6) August 23, 2017
मेधा पाटकर ने जस्टिस वेद प्रकाश शर्मा के पास जमानत के लिए अर्जी दी थी. हाईकोर्ट में मेधा पाटकर की तरफ से एडवोकेट आनंद मोहन माथुर और अभिनव धनोतकर ने पैरवी की. उनके वकील माथुर ने कोर्ट में कहा कि मेधा पाटकर गांधीवादी तरीके से आंदोलन कर रही थीं फिर भी उनपर अपहरण की धारा 365 लगा दी गई.
मामला क्या है?
मेधा पाटकर नर्मदा घाटी के विस्थापितों के लिए पुर्नवास की मांग कर रही हैं. वे 11 अन्य लोगों के साथ मध्यप्रदेश के धार जिले के चिखल्दा गांव में अनशन कर रही थी. बाद में पुलिस ने उन्हे जबरन गिरफ्तार कर अस्पताल भेज दिया था. अस्पताल से रिहा होने के बाद उन्हे जेल भेजा गया था.
वे गुजरात सरकार के द्वारा सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने का विरोध कर रही हैं. बांध की ऊंचाई के बढ़ने से नर्मदा घाटी के 192 गांव के लगभग 40 हजार परिवार के उजड़ने का खतरा बन गया है. मालूम हो कि सर्वेच्च न्यायालय में आठ अगस्त को इस मामले को लेकर सुनवाई हुई जिसमें कोर्ट ने इस मामले को ठुकरा दिया. मेधा पाटकर 27 जुलाई से अनिश्चितकालिन अनशन कर रही थीं.