सोलन. कत्था उत्पादन की अगर बात करें तो देश के कुल कत्था उत्पादन का 70 फिसदी उत्पादन अकेले हिमाचल प्रदेश मे ही होता है. हिमाचल मे तैयार होने वाला कत्था अब पहले से और भी साफ व हाई क्वालिटी का होगा.
नई तकनीक
आपको बता दें कि डा. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विवि नौणी के फोरेस्ट प्रोडक्ट विभाग ने कत्था उत्पादन की नई वैज्ञानिक तकनीक विकसित की है. इस तकनीक मे खैर की लकड़ी के टुकड़ों को ब्वायलर मे डाला जाता है और तब तक उबाला जाता है जब तक की उसमें थिकनेस न आ जाए. उसके बाद इसे फ्रीजिंग के लिए चार से सात डीग्री के तापमान मे रखा जाता है और अंत मे इसमे से डाई और कत्था अलग कर दिया जाता है.
पहले से साफ़ होगा कत्था
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस विधी से जहां कत्था के साथ साथ कच यानी डाई भी प्राप्त होती है. वहीं कत्था पहले से साफ व उच्चतम गुणवता का प्राप्त होगा. वैज्ञानिकों की माने ते कत्था निकालने की ये विधि आने वाले दिनो मे कत्था उघोग के लिए वरदान साबित होगी.
पहले हो जाता था बर्बाद
नौणी विवि के फ़ॉरेस्ट प्रोडक्ट विभाग डा कुलवंत राय शर्मा ने बताया कि पुरानी तकनीक से कत्था निकालते वक्त बर्बाद हो जाता था और साफ़ और शुद्ध भी नहीं होता था. लेकिन अब उन्होंने जो तकनीक विकसित की है, इससे कत्थे के साथ-साथ कच भी निकाल सकते है और इस विधि ने कत्थे से जुड़े व्यवसाईयों को न सिर्फ़ फायदा होगा बल्कि उन्हें शुद्ध कत्था भी प्राप्त होगा. इसलिए कत्था उद्योगपति इस विधि को अपना कर ख़ासा लाभ कमा सकते हैं.