मंडी (जोगिन्द्रनगर). पंचायत टाइम्स की टीम मंडी जिले की जोगिन्द्रनगर विधानसभा से बुधवार को दोबारा लाइव हुई. इस बार हमारे संवाददाता राजन पांडेय राजनीति और धर्मगुरुओं के संबंधों को टटोलते हुए यहां के नामी ज्योतिषी लेख राज शर्मा के साथ लाइव हुए.
राजनीति-धर्म का पुरातन संबंध
राजनीति और धर्म के संबंधों पर बात करते हुए राजन बताते हैं कि बिहार के एक नेता कहते थे के धर्म दीर्घकालिक राजनीति है और राजनीति अल्पकालिक धर्म. आजादी के बाद और पहले धर्म गुरुओं और राजनीति के संबंध हमेशा बने रहे हैं. इस संबंध को भारतीय राजनीति में भाजपा के उदय से भी समझा जा सकता है. जिसने राम जन्म भूमि आंदोलन को अपने राजनीतिक सफर में हमेशा साथ रखा है. 1990 के दौर में, राजनीति में तांत्रिक चंद्रास्वामी का उदय, राजीव गांधी के निधन के तुरंत बाद होता है. नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बनाने की जिम्मेदारी लेने वाले शख्स के रूप में राजनीति में उभरने वाले तांत्रिक चंद्रास्वामी काफी विवादास्पद भी रहे. इसी तरपह इंदिरा गांधी भी माता आनंदमयी के आश्रम में जाया करती थी.
वैश्वीकरण के दौर में ज्योतिष विद्या परवान चढ़ी
वैश्वीकरण आने के बाद उतार-चढ़ाव दा दौर जबर्दस्त रहा है. इस अनिश्चितिता के दौर में तंत्र विद्या या ज्योतिष कला पर लोगों का विश्वास लगातार बढ़ता रहा. इसके बावजूद ज्योतिष विद्या पर अब तक कोई गंभीर बात-चीत नहीं हो पायी है. पंडित लेखराज शर्मा का नाम हिमाचल समेत पूरे देश के राजनीतिक और मनोरंजन जगत के लोगों के बीच काफी पॉपुलर रहा है. उनसे बात-चीत करने पहुंचे राजन सबसे पहले ज्योतिष के विषय में एक बुनियादी सवाल पूछते हैं कि असल मे ज्योतिष विद्या क्या है. लेखराज इस बात का जवाब ज्योतिष को अपने आप में एक संपूर्ण विज्ञान के रूप में देते हैं. ज्योतिष और खगोलशास्त्र को वह एक दूसरे से जुड़ा हुआ बताते हैं.
सच्चा ज्योतिषी सबसे पहले गणितज्ञ होता है
गणित ज्योतिष का मुख्य अंग हैं पहले जो ज्योतिषी होता था वह सबसे बड़ा वेदज्ञ होता था. वाराहमिहिर पुरस्कार आज भी ज्योतिषी की सबसे बड़ा पुरुस्कार है. सेना के जवानों को धर्मगुरू शपथ दिलाता था. मैं धर्मगुरु के पद पर सेना में अपनी सेवायें देता रहा हूं. अलग-अलग जातियों इलाकों की रेजीमेंट होने के बावजूद एकता में अनेकता वाला जज्बा सेना में कायम रहती है. हम सारे त्योहार एक साथ मिल कर मनाते थे और सभी साथ में एक साथ बैठ कर मेस में खाते थे. भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट के बारे में लेखराज बताते हैं कि वह किसी व्यक्ति ज्योतिषी के पास आने का समय जान कर भविष्य बताते थे.. हाथ का नक्शा आपकी जिंदगी का नक्शा है. भविष्वाणी में हाथ-माथा और पैर की रेखाओं को पढ़ा जाता है, इसे सामुद्रिक शास्त्र कहते हैं. इसे जोड़ कर किसी व्यक्ति की कुंडली बनती है.