पटना: बिहार में जातिगत गणना पर पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है. मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी. नीतीश सरकार के लिए ये बड़ा झटका है. बिहार में जाति आधारित सर्वे को जातिगत जनगणना या जातीय गणना भी कहा जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट में जाति आधारित सर्वे को रद्द करने के लिए याचिकाएं दाखिल हुई थीं, लेकिन कोर्ट ने तुरंत इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था. सर्वोच्च न्यायालय का कहना था कि यचिकाकर्ता हाईकोर्ट जा सकते हैं. प्रथम दृष्टया ये ‘पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन’ लगती है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि ये सर्वे आम जनता की भलाई के लिए किया जा रहा है. इसी के आधार पर भविष्य में लोककल्याणकारी नीतियां सरकार बनाएगी.
अब तक एकत्रित डाटा को सुरक्षित रखने का आदेश
पटना हाई कोर्ट के इस फैसले से बिहार सरकार को बड़ा झटका लगा है. अदालत ने जातीय जनगणना पर रोक लगाने के साथ ही अब तक जनगणना के दौरान एकत्रित डाटा को सुरक्षित रखने का आदेश दिया है. याचिकाकर्ता की ओर से सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए इसे असंवैधानिक बताया गया था. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि अदालत को यह भी जानकारी दी गई थी कि जातीय जनगणना में 500 करोड़ रुपए का दुरुपयोग हो रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि जातीय जनगणना को लेकर बिहार सरकार की ओर से कोई नियम भी नहीं बनाया गया थ.
सरकार ने कहा-जाति गणना से गोपनीयता भंग नहीं होगी
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को यह जानकारी दी गई थी कि जनता के बारे में जानकारी के लिए सर्वे का अधिकार है. सरकार की ओर से बताया गया कि जन कल्याण की योजना बनाने और सामाजिक स्तर सुधारने के लिए यह सर्वे कराया जा रहा है. बिहार सरकार की ओर से यह भी जानकारी दी गई कि जाति गणना से कोई गोपनीयता भंग नहीं होगी.