शिमला. विकलांगजनों के लिये काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था उमंग फाउंडेशन की ओर से चुनाव आयोग की ब्रांड एम्बेसडर दृष्टिहीन छात्रा मुस्कान ठाकुर ने विकलांग विद्यार्थियों की ओर से रविवार को रिज मैदान पर विकलांगता पर जन घोषणा पत्र जारी किया.
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इस दस्तावेज में मांग की गई है कि सभी राजनीतिक दल विकलांगों के मुद्दों को अपने राजनीतिक एजेंडा में शामिल करें. मुस्कान ठाकुर ने इस अवसर पर विकलांग एवं अन्य युवाओं को चुनाव में मताधिकार का प्रयोग करने की शपथ दिलाई और शांति मार्च में हिस्सा लिया.
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के विभिन्न महाविद्यालयों और सोलन के बागवानी विश्वविद्यालय के विकलांग तथा अन्य विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया.
पिछले 2 विधानसभा चुनावों में भी उमंग फाउंडेशन ने इसी तरह का घोषणा पत्र जारी किया था. जिसमे से कई मुद्दों को कांग्रेस, भाजपा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में जगह दी थी.
देश में अपनी तरह के इस अनूठे जन घोषणापत्र में मांग की गई है कि अजय श्रीवास्तव की जनहित याचिका पर हाई कोर्ट द्वारा विकलांग विद्यार्थियों को स्कूलों और कॉलेजों में भी मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराने के आदेश को लागू किया जाये.
घोषणा पत्र में 45 मुद्दे…
जन घोषणा पत्र में विकलांगता से जुड़े 45 प्रमुख मुद्दों को शामिल किया गया है. जिनमें विकलांगों के शिक्षा एवं अन्य सामाजिक-आर्थिक अधिकारों पर जोर दिया गया है. कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा इस वर्ष लागू किए गये विकलांग जन अधिकार अधिनियम को प्रदेश में तुरंत लागू किया जाये. सरकार ने इस दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है. राज्य में विकलांगता पर एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण भी कराया जाये क्योंकि अभी विकलांगों की संख्या का सही-सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.
दस्तावेज में विकलांग बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और दृष्टिहीन विद्यार्थियों को टॉकिंग सॉफ्टवेयर वाले कंप्यूटर, ई-बुक्स एवं ऑडियो बुक्स समेत अन्य सुविधाएं देने की मांग की गयी है.
प्रो. श्रीवास्तव ने कहा कि सभी मनुष्यों के चलने-फिरने के अधिकार को मौलिक अधिकार माना जाये. राज्य में ब्रेल को आधिकारिक लिपि के तौर पर मान्यता दी जाये और समस्त पुस्तकालयों में दृष्टिबाधित लोगों के लिये ई-पुस्तकें उपलब्ध करवायी जायें.
बनाया जाये अलग विभाग
सभी सार्वजनिक वेबसाइटों को विकलांगों के इस्तेमाल करने योग्य बनाया जाये. इसके साथ ही सभी सरकारी एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों को बैरियर फ्री बनाया जाना चाहिये, ऐसी मांग रखी गयी है. राजनीतिक दलों से अपील की गई है कि नई सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार की तर्ज पर राज्य में अलग विकलांगता विभाग बनाया जाए और स्वतंत्र राज्य विकलांगता आयुक्त की नियुक्ति की जाये.
आरक्षण की मांग
शिक्षा एवं नौकरियों में विकलांगों के लिये जरूरी आरक्षण लागू करने की गयी है. इसके साथ ही मंद बुद्धि एवं लर्निंग डिसेबिलिटी वाले बच्चों के लिये अलग से पाठ्यक्रम तथा अन्य सुविधाएं जुटाने की मांग भी की गयी है. थैलेसीमिया को नये विकलांगता कानून के अंतर्गत एक विकलांगता का दर्जा दिये जाने की बात रखी गयी है. जन घोषणापत्र में टांडा मेडिकल कॉलेज और शिमला के आईजीएमसी में चल रहे नेत्र बैंकों को और बेहतर बनाने की अपील की गई है.
इस कार्यक्रम में अन्य लोगों के अलावा सोलन से आये दीपक साहनी, स्पर्धा खन्ना के साथ हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कई विकलांग विद्यार्थी शामिल हुये. इनके साथ उमंग फाउंडेशन के महासचिव यशवंत राय, ट्रस्टी सुरेंद्र कुमार, विमला ठाकुर आदि भी शामिल हुये.