शिमला. वर्षा ऋतु के बाद बारिश में 49 फीसदी की गिरावट आई है. इससे राज्य में सूखे का खतरा मंडरा रहा है. प्रधान सचिव राजस्व तथा आपदा प्रबन्धन ओंकार शर्मा ने गुरुवार को शिमला में सूखे की स्थिति से निपटने के लिये विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी जिलों के उपायुक्तों ने भाग लिया.
ओंकार शर्मा ने बताया कि सभी जिलों में होनेवाली वर्षा आंकड़ों के विश्लेषण में प्रदेश में वर्षा ऋतु के उपरान्त वर्षा में 49 प्रतिशत की कमी आई है. मौसम विभाग द्वारा उपलब्ध करवाई गई सूचना के आधार पर प्रदेश में 23 से 24 जनवरी के दौरान धीमी से सामान्य वर्षा के होने के आसार पाए गए हैं.
हालांकि दिसम्बर, 2017 के दौरान सभी जिलों में पर्याप्त वर्षा होने के कारण रबी फसलों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. प्रधान सचिव सम्बन्धित हितधारकों के सहयोग से जिलों के लिए सूखा आकस्मिक योजना तैयार करने व इसका जायजा लेने के निर्देश दिए हैं.
कम वर्षा से पेयजल संकट नहीं
प्रधान सचिव ने कहा कि पेयजल क्षेत्र में कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. उन्होंने कहा कि सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के पास प्रदेश में 45 पेयजल आपूर्ति परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं, जहां नियमित परीक्षण किए जाते हैं. विभाग ने प्रदेश के सभी जलभण्डार टैंकों की सफाई का कार्य सफलता से पूर्ण कर लिया है. उन्होंने सभी उपायुक्तों को उपमण्डल स्तर पर पानी की गुणवत्ता की समय-समय पर जांच सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिए हैं.
सभी जिलों को पेयजल स्त्रोतों को दूषित होने से बचाने के लिए बचाव उपाय करने तथा पीलिया जैसी जलजनित बीमारियों से बचाव के लिए सुपर क्लोरिनेशन प्रक्रिया आरम्भ करने के निर्देश दिए हैं.
सभी जिलों में पर्याप्त वर्षा होने से नमी के स्तर में कोई कमी नहीं हैं, हालांकि स्थिति ऐसी ही बनी रही तो आने वाले दो सप्ताह में नमी के स्तर पर प्रभाव पड़ सकता है.
बैठक में विशेष सचिव राजस्व तथा आपदा प्रबन्धन डी.सी. राणा, निदेशक भारतीय मौसम विभाग मनमोहन सिंह, मुख्य अभियन्ता सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग, बागवानी तथा कृषि के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित रहे.