नई दिल्ली: महाराष्ट्र की राजनीति में आज का दिन बहुत ही खास है. शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता वाले मामले पर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर आज अपना फैसला सुनाएंगे. विधानसभा अध्यक्ष का फैसला आज शाम तक आ सकता है.
ये फैसला करीब 500 पन्नों का बताया जा रहा है. एकनाथ शिंदे गुट के मंत्री गुलाबराव पाटिल ने कहा कि फैसला उनके पक्ष में आएगा, क्योंकि रामलला का आशीर्वाद उनके साथ है और संख्या बल भी उनके साथ है.
बता दें कि जून 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी, इसके बाद महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई और एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. इसके बाद शिंदे गुट और उद्धव गुट ने एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की याचिका दाखिल की.
16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला आज
साल 2022 के जून महीने में शिवसेना टूटने के बाद दोनों गुटों की तरफ से विधायकों की अयोग्यता को लेकर याचिकाएं दायर की गई थीं. इनमें चार याचिकाएं शिवसेना और दो शिंदे गुट ने दायर कीं. असली शिवसेना कौन सी है, ये अब राहुल नार्वेकर को देखना होगा. आज 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला आना है. वहीं अगर एकनाथ शिंदे को अयोग्य ठहराया जाता है तो उनको सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ेगा. सभी को अब फैसले का इंतजार है.
दूसरी तरफ मंगलवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के घर पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की एक बैठक हुई. इस बैठक में DGP रश्मि शुक्ला और दूसरे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहे. सूत्रों के मुताबिक आज आने वाले फैसले के मद्देनजर कानून व्यवस्था को लेकर इस बैठक में चर्चा की गई.
नार्वेकर और CM शिंदे के बीच मुलाकात पर ठाकरे गुट का निशाना
उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों की तरफ से एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता संबंधी याचिकाओं पर फैसला सुनाने के लिये निर्धारित 10 जनवरी की समय-सीमा से महज तीन दिन पहले विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच हुई मुलाकात को “बेहद अनुचित” करार देते हुए हाई कोर्ट में आवेदन दायर कर इसकी निंदा की थी. जानकारी के अनुसार राहुल नार्वेकर ने 7 जनवरी को मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ में शिंदे से मुलाकात की.
हाई कोर्ट ने 15 दिसंबर 2023 को राहुल नार्वेकर के लिए अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने की समय सीमा 31 दिसंबर से बढ़ाकर 10 जनवरी कर दी थी.
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