रांची. झारखण्ड में पहली बार बीजेपी की बहुमत वाली सरकार में उसके आधे से अधिक विधायकों ने अपनी ही सरकार के निर्णयों के खिलाफ सवाल खड़ा किया है, वहीं सरकार में मंत्री सरयू राय ने भी संसदीय कार्य विभाग से खुद को मुक्त करने के लिए सीएम को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सदन की कार्यवाही चल रही है उसमे उनका मंत्री बने रहना ठीक नहीं है.
झारखंड सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. बीजेपी विधायकों के साथ सहयोगी दल आजसू पार्टी के विधायक मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिखकर स्थानीयता नीति, नियोजन, जिला रोस्टर और रिजर्वेशन पॉलिसी में खामियों को दूर करने को कहा है.
मूलवासी सदान और जनजातीय समुदाय के युवाओं में आक्रोश और निराशा
सीएम को भेजे गए पत्र पर सभी विधायकों ने बाकायदा हस्ताक्षर करके कहा है कि सरकार द्वारा बनायी गयी स्थानीयता नीति, नियोजन, जिला रोस्टर और रिजर्वेशन पॉलिसी में खामियां है जिन्हें दूर करने की जरुरत है, हालांकि उन्होंने सरकार का पक्ष लेते हुए लिखा है कि राज्य के तृतीय और चतुर्थ वर्ग के पदों पर नियुक्तियां लंबे समय से रुकी पड़ी थी उनका रास्ता प्रशस्त करते हुए सरकार ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है. वहीं, दूसरी तरफ साफ़ किया कि इन नीतियों में विसंगतियों और खामियों के कारण राज्य के मूलवासी सदान और जनजाति समुदाय के युवक युवतियां तीव्र आक्रोश और निराशा के भाव में जी रहे हैं.
विधायकों के उस पत्र में उन्होंने कहा है कि झारखंड विधानसभा के सदस्यों की एक हाई लेवल कमेटी बनाई जाए जो स्थानीयता, नियोजन, जिला रोस्टर जैसी सरकार की नीतियों में व्याप्त खामियों और विसंगतियों को दूर करने के लिए स्टडी करेगी. अपनी स्टडी के बाद 3 महीने के भीतर कमिटी रिपोर्ट सबमिट करेगी. साथ ही जबतक यह रिपोर्ट नहीं आ जाती है तबतक राज्य सरकार तृतीय और चतुर्थ वर्ग में किसी प्रकार की नियुक्ति ना करें.
विधायकों ने स्थानीयता नीति को फिर से परिभाषित करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि मौजूदा पॉलिसी की वजह से झारखंड राज्य में 30 साल या 1985 से पहले से रहने वाले लोग एफिडेविट कर स्थानीय निवासी का प्रमाण पत्र पा सकते हैं. इसकी जगह विधायकों ने 1932 के खतियान या 1951 की जनगणना अथवा मतदाता सूची को आधार बनाए जाने के लिए कहा है.
अनाधिसूचित इलाकों में भी मिले स्थानीय लोगों को प्राथमिकता
विधायकों ने लिखा है कि जिस प्रकार शेड्यूल एरिया में अधिसूचित 14 जिलों में जनजाति, मूलवासी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए जिला रोस्टर के आधार पर तृतीय और चतुर्थ वर्ग के पदों पर नियुक्ति होनी है. साथ ही अगले 10 वर्षों तक दोनों स्तरों के पद उन लोगों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं. उसी तरह अनाधिसूचित 11 जिलों में भी वहां के मूलवासी, सदान और जनजातीय अभ्यर्थियों के लिए नियोजन को फ्रीज कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि मौजूदा नीति के हिसाब से ऐसे 11 जिलों में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नियुक्तियों में पूरे देश के अभ्यर्थी हिस्सा ले सकते हैं. जिसे समाप्त किया जाए इसके अलावा जिला के आधार पर ही आरक्षण और तृतीय और चतुर्थ वर्ग के पदों पर नियुक्त करने सुनिश्चित की जाए.
विधायकों के इस तरह के पत्र और राय के पद त्याग की बात के बात सरकार के कान खड़े हो गए हैं. फिलहाल 81 इलेक्टेड सदस्यों वाली झारखण्ड विधानसभा में छह बागी झाविमो विधायकों को मिलकर बीजेपी के 43 विधायक हैं. साथ में आजसू पार्टी के चार विधायकों को भी सरकार का समर्थन है. एक तरफ छह बागी विधायकों के ऊपर दल-बदल का मामला स्पीकर के कोर्ट में चल रहा. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी के विधायकों की सरकार को चिट्ठी को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.