शिमला (शिमला ग्रामीण). शिमला नगर निगम की मासिक बैठक में बुधवार को एनजीटी का फैसला सदन में गरमाया रहा. शहर में भवन निर्माण और इन्हें नियमित करने को लेकर आए एनजीटी के फैसले के खिलाफ पार्षद एकजुट हो गए है. सभी ने एकमत से फैसले के खिलाफ रिव्यू करने का प्रस्ताव पारित कर दिया. अब इस प्रस्ताव को सरकार को भेजा जाएगा. सरकार को 16 दिसंबर से पहले रिव्यू करने के लिए कहा जाएगा.
इस मुद्दे को सदन में सबसे पहले मज्याठ वार्ड पार्षद दिवाकर शर्मा ने उठाया. निगम से पूछा कि प्रशासन शहरवासियों को राहत देने के लिए क्या कदम उठा रहा है. जब लोग टैक्स निगम को देते है तो निगम की जिम्मेदारी है कि वह शहरवासियों को राहत दे.
इसलिए परेशान हैं शहरवासी
पार्षद ने कहा कि शहर में 80 फीसदी अवैध मकान मर्ज एरिया में ही हैं जो पहले पंचायतों में थे. निगम में आने के बाद इन पर भी टीसीपी और नक्शे संबंधी शर्ते लगा दी गई. टुटू के पार्षद विवेक बोले कि निगम को पुराने भवन मालिकों को राहत देनी चाहिए. क्योंकि भवन नियमित करवाने के लिए पांच हजार प्रति वर्ग फुट के हिसाब से सेस चुकाना आम शहरवासी की क्षमता से बाहर है. बाद में बाकी पार्षद भी उनके समर्थन में आ गए. सभी 34 पार्षदों ने प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेज दिया.
सदन में ये मामले भी उठे
शहर में सफाई का मुददा भी उठा. प्रशासन ने भरोसा दिलाया कि जल्द व्यवस्था सुधारेंगे पार्षद बोले, कच्चीघाटी, टुटू और बालूगंज में चैथे दिन पानी दिया जा रहा है, एमई बोले अभी कम सप्लाई मिलने से यह दिक्कत आ रही है. जल्द सप्लाई बढ़ाएंगे. विभिन्न प्रोजेक्टों से बचा 27 करोड़ शहर के बाकी विकास कार्यकर्ताओं पर खर्च किए जाएंगे. टूटी कंडी रोपवे को एक्सटेंशन देने पर चर्चा की गई.