नोटबंदी के दौरान निर्धारित समय पर बैंकों में पैसा नहीं जमा कर पाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और रिज़र्व बैंक से पूछा है कि उनके लिए कोई लिए कोई विंडो क्यों नहीं हो सकती ?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिन लोगों के पास पैसे जमा कराने के वाजिब कारण है उनकी संपत्ति सरकार इस तरह से नहीं छीन सकती. उन्हें सरकार को एक मौका और देना चाहिए. अगर ये मौका नहीं दिया जाता है तो यह एक गंभीर मुद्दा है. इसी को लेकर CJI खेहर ने कहा कि अगर कोई जेल में है तो वो कैसे रुपये जमा कराएगा. सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों के लिए कोई ना कोई विंडो जरूर देनी चाहिए. आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने आठ नवम्बर 2016 को पांच सौ और एक हजार के नोट बंद कर दिए थे.
गौरतलब है कि एक महिला द्वारा याचिका दायर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई कर रहा है. जिसमें उस महिला ने कहा था कि नोटेबंदी के दौरान वह अस्पताल में थी और उसने बच्चे को जन्म दिया था. इस कारण से वह बैंक में तय समय पर बैंक में पैसे जमा कराने में असमर्थ रही. वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा सवाल उठाये जाने पर केंद्र सरकार ने दो हफ्ते का समय मांगा है. इससे पहले 21 मार्च को कोर्ट ने कहा था कि जिन लोगों ने 30 दिसंबर तक पुराने नोट जमा नहीं कराये उनको एक विंडो देना चाहिए. 8 नवंबर से 30 दिसंबर तक ही पुराने नोट जमा कराने की सीमा थी.