नई दिल्ली: उत्तराखंड की सुरंग में 16 दिन से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने का काम तेजी से किया जा रहा है. अमेरिकी ऑगर मशीन फेल होने के बाद अब मैनुअली ड्रिलिंग का काम किया जा रहा है.
सिलक्यारा सुरंग से एक राहत देने की वाली खबर सामने आई है. अंदर फंसे मजदूरों और रेस्क्यू टीम के बीच अब सिर्फ 5 मीटर की दूरी बची है. कहा जा रहा है कि अगर कोई बड़ी बाधा सामने नहीं आई तो सभी मजदूर जल्द ही सुरंग से बाहर आ जाएंगे.
रैट माइनर्स मलबे की खुदाई में जी जान से जुटे हुए हैं. मैनुअल ड्रिलिंग के लिए 3 टीमें बनाई गई हैं. 12, 7 और 5 सदस्यों की ये टीमें अपने काम में जुटी हुई हैं. उधर वर्टिकल ड्रिलिंग का काम भी तेजी से चल रहा है. सुरंग में मैनुअल ड्रिलिंग का काम सोमवार से शुरू किया गया. शुरुआती ड्रिलिंग का काम अमेकरिकी ऑगर मशीन से किया जा रहा था लेकिन शुक्रवार को वह मलबे में फंस गई थी, जिससे अधिकारियों को वैकल्पिक तरीकों की तलाश करना पड़ा. ड्रिलिंग का काम करीब 40% पूरा हो चुका है.
PM मोदी ने की मजदूरों के लिए प्रार्थना की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए प्रार्थना करने की अपील देश की जनता से की है. वहीं रैट माइनर्स भी अपने काम में जुटे हुए हैं. पीएम मोदी ने तेलंगाना में कहा,” आज जब हम देवी-देवताओं से प्रार्थना कर रहे हैं, मानवता के कल्याण की बात कर रहे हैं, तो हमें अपनी प्रार्थना में उन श्रमिक भाईयों को भी स्थान देना है, जो बीते करीब दो सप्ताह से उत्तराखंड की एक टनल में फंसे हुए हैं.”
CM धामी ने ली बचाव अभियान की जानकारी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी फिर से रेस्क्यू का जायजा लेने पहुंचे हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी है. सीमेंट को अभी काटा जा रहा है. सुरंग में सब ठीक है, जल्द मजदूरों को निकाल लिया जाएगा. 52 मीटर अंदर जा चुके हैं, ज्यादा दिक्कत नहीं है. बड़ी बाधाएं दूर कर ली गई हैं.
जानें क्या होती है रैट माइनिंग?
संकरी जगह पर हाथों से खुदाई करने को रैट माइनिंग कहा जाता है. क्यों कि कम जगह में इंसान धीरे-धारे खुदाई करते हैं, इसलिए इसे रैट माइनिंग कहते हैं. इस तरह की जगह पर मशीनें और अन्य भारी उपकरण ले जाना संभव नहीं होता. इसका इस्तेमाल कोयला और अन्य खदानों में किया जाता है.
मैनुअली खुदाई करने के लिए पहले दो लोग पाइपलाइन में जाते हैं. एक आगे का रास्ता बनाता है और दूसरा मलबे को ट्रॉली में भरता है. चार लोग मलबे की ट्रॉली को बाहर खींचते हैं. पहली टीम जब थक जाती है तो दूसरी टीम काम को आगे बढ़ाती है.