नई दिल्ली. उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने बंगलुरु के नेशनल लॉ स्कूल ऑफ़ इंडिया के 25वें दीक्षांत समारोह में देश के अल्पसंख्यकों के लिये चिंता जताते हुए कहा कि इस समय नागरिकों के बीच भय का माहौल है।
उन्होंने कहा कि इस दौर में धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों को दोहराना और पुनर्जीवित रखना सबसे बड़ी चुनौती है. अंसारी ने कहा कि समानता को धरातल पर उतारना और धार्मिक स्वतंत्रता का फिर से संचार करना देश के लिये मुख्य चुनौती है.
देश में निरंतर हो रही हिंसक घटनाओं को लेकर उपराष्ट्रपति ने विवेकानंद के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि हमें न सिर्फ दूसरे धर्मो के प्रति सहिष्णु होना चाहिए, बल्कि उन्हें दिल से अपनाना चाहिए, क्योंकि सभी धर्मो का आधार सच्चाई ही है.
उनके मुताबिक, लोकतंत्र का आकलन सिर्फ संस्थानों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए बल्कि इसका सही अर्थ विभिन्न वर्गों की विभिन्न आवाजों को सुनने में है. वहीं राष्ट्रवाद को लेकर कहा कि सांस्कृतिक प्रतिबद्धताओं को अपने मूल में जगह देने वाले ‘राष्ट्रवाद के स्वरूप’ को रूढ़िवादी राष्ट्रवाद माना जाता है, जो असहिष्णुता और झूठी देशभक्ति को बढ़ावा देता है.
रक्षा बंधन पर सन्देश
रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर अपने एक संदेश में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि रक्षाबंधन भाईयों और बहनों के बीच प्यार और स्नेह का प्रतीक है. साथ ही ये हमारी परंपराओं में महिलाओं के सर्वोच्च स्थान को दर्शाता है.